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इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारन | इज़राइल और हमास युद्ध : ईरान के इज़राइल के युद्ध से हटने के बाद UAE इज़राइल के समर्थन में आया

Author: Amresh Mishra | Published On: 10 October 2023
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इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारन :- यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) जी हां, संयुक्त अरब अमीरात ने एक तरह से यहां इजराइल का समर्थन किया। पहले होता यह था कि जब भी इजराइल या फिलिस्तीन के बीच कोई युद्ध होता था, जब भी हमास या इजराइल के बीच युद्ध होता था तो मध्य पूर्व के अरब देश कभी भी इजराइल का समर्थन नहीं करते थे। लेकिन यहां ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है. मैं आपको इस बदलाव के बारे में बताऊंगा और साथ ही सबसे अहम बात जानेंगे कि हमास के अचानक हमले के पीछे की वजह क्या है? वो भी मैं आपको बताऊंगा. अभी बहुत कुछ जाना है. चलिए आगे बढ़ते हैं लेकिन उससे पहले इस बात का ध्यान रखें.

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारन

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तो चलिए शुरुआत करते हैं लेकिन पहले देखते हैं कि असल में हुआ क्या था। देखिए, आप सभी जानते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात एक महत्वपूर्ण देश है। अगर आप मध्य पूर्व के खाड़ी देशों के अंदर देखेंगे तो उन्होंने अभी कहा है कि यह हमला फिलिस्तीनी इस्लामिक गुट हमास के समय में हुआ है, आप जानते हैं कि हमास जो गाजा पट्टी के अंदर है, वहां अचानक इतना बड़ा हमला हुआ था . यह हो चुका है और आप इसे जानते हैं। ये हमला कोई छोटा-मोटा नहीं था. मतलब पिछले कई सालों में जिस तरह अचानक इतने सारे रॉकेट लॉन्च किए गए ये सबसे बड़ा बताया जा रहा है. और उसे छोड़ भी दें तो यहां आपने देखा होगा कि कई इजराइली लोगों को अगवा कर गाजा पट्टी ले जाया गया है. मतलब कि उनका अपहरण कर लिया गया है और देखना ये है कि उन्हें कैसे बचाया जाएगा.

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तो इस स्थिति को देखते हुए यूएई की तरफ से ये बयान आया कि जिस तरह से हमास ने हमला किया वो अचानक था और वो भी छुट्टी के दिन जो कि एक त्योहार का दिन था. इजराइल के अंदर लोगों ने सोचा भी नहीं होगा कि इतना अचानक हमला हो जाएगा. कुछ हद तक इसे यूएई ने गंभीरता से लिया है।मैं आपको बता दूं कि यह संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय से आया है और देखिए। उन्होंने कहा है कि जिस तरह से बंधक बनाया गया है. इस वजह से इजरायली नागरिकों के लिए ये बड़ा झटका है और ये कहना है यूएई का.

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारण

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारण पहला

आप देखेंगे कि फिलिस्तीन और इजराइल के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे हैं. देखिए क्या होता है अगर दो देशों और दो क्षेत्रों के बीच रिश्ते सुधर जाएं और सकारात्मकता की ओर बढ़ जाएं तो यहां ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता। लेकिन अगर आप फ़िलिस्तीन और इज़रायल के संबंधों पर नज़र डालें, तो वे हाल के वर्षों में और अधिक तेज़ी से ख़राब हुए हैं। इस विशेष मामले में, यहां जिस समस्या के बारे में कहा जा रहा है, वह यह थी कि वेस्ट बैंक के अंदर इजरायली पक्ष का मूल्यांकन कैसे किया जा रहा था, इसलिए बोलने का मतलब है कि आपने सुना होगा कि एक अलग मस्जिद के परिसर पर इजरायली प्रतिभूतियों द्वारा छापा मारा गया था। अब इजराइल का कहना है कि यहां ऐसे कई लोग हैं जो इजराइल के खिलाफ काम कर रहे हैं, इसलिए हम उन्हें पकड़ने के लिए ऐसी दरें लगा रहे हैं. लेकिन इस साल यहां इजराइल ने जो भी छापेमारी की, मैं आपको बता दूं कि अब तक 200 भारतीयों की मौत हो चुकी है और करीब 30 इजराइली भी मारे गए हैं, इसलिए ये सब हो रहा था. पिछले कुछ समय से यही मुख्य वजह बताई जा रही है कि हमास ने हमला करने के बारे में क्यों सोचा होगा.

दरअसल, यहां एक और परिप्रेक्ष्य है जिसे आपको समझने की जरूरत है। अगर आप यहां देखें तो जब हम फिलिस्तीन की बात करते हैं तो वेस्ट बैंक के अंदर भी फिलिस्तीनी हैं और आप गाजा पट्टी में जो देख रहे हैं, यहां भी फिलिस्तीनी हैं। लेकिन गाजा पट्टी पर शासन एक तरह से हमास का शासन है। लेकिन वेस्ट बैंक में जो राष्ट्रपति हैं उनके बारे में तो आप जानते ही होंगे. इनका नाम मोहम्मद अब्बास फतेह है इसलिए लोगों में मोहम्मद अब्बास फतेह के खिलाफ थोड़ा गुस्सा है. सबसे पहले तो इन तीनों का मानना है कि मोहम्मद अब्बास उनकी आज़ादी के लिए काम नहीं कर पा रहे थे. अगर वे उन्हें जीत नहीं दिला पा रहे हैं तो हमास इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है. मूलतः हमास चाहता है कि फ़िलिस्तीन हमास का एकमात्र नेता बने।

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   वह एक तरह से फिलिस्तीन पर कब्ज़ा करना चाहता है. तो एक तरह से इजराइल पर हमला करके हमास ये साबित करना चाहेगा कि यहां मोहम्मद अब्बास का शासन सही नहीं है. फ़िलिस्तीनियों का भविष्य हमास के पास है। इसलिए सभी फ़िलिस्तीनियों को हमास का समर्थन करना चाहिए, तो आप कह सकते हैं कि यह एक संकेत है जो वे इस हमले के माध्यम से देने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, अगर फिलिस्तीनियों की बात करें तो यहां मोहम्मद अब्बास का शासन सीधे तौर पर हमला नहीं करता है, लेकिन जिस तरह से हमास हमला करता है, मोहम्मद अब्बास का वो सीधा हमला आपको देखने को नहीं मिलेगा. इस वजह से यहां काफी नाराजगी है. सबसे पहले तो वो कहीं न कहीं हमारा फायदा उठाना चाहता है और यही वो पहली वजह है जो मैंने आपको बताई, जिसकी वजह से उसने अचानक इजराइल पर इतना बड़ा हमला कर दिया.

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारण दूसरा

अब दूसरा कारण यह है कि इजराइली समाज में विभाजन है. अगर आप देखें कि पिछले कुछ समय से यहां तक कि इजराइल के भीतर भी क्या हो रहा है, तो यह बहुत ही गोपनीय दौर से गुजर रहा है। पिछले 4 साल से मैं आपको बताता हूं कि राजनीतिक स्थिरता थी, कभी कोई प्रधानमंत्री होता था, तो कभी कोई और प्रधानमंत्री बन रहा था। और अब अंततः नेतन्याहू पर वापस आते हैं जो प्रधान मंत्री हैं। आपका पासपोर्ट ज्ञात है, लेकिन हुआ यह है कि नेतन्याहू सरकार, एक गुट, एक चरमपंथी गुट, आप कह सकते हैं कि सत्तारूढ़ गुट, इज़राइल के अंदर सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है। जैसा कि आप जानते होंगे कि अब न्यायपालिका के अंदर की कुछ तस्वीरें दी गई हैं ताकि न्यायपालिका का मसौदा तैयार किया जा सके और सरकार को एक तरह से और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सके। तो इजरायली समाज में कौन लोग नाखुश हैं? उन्होंने नेतन्याहू से कहा कि यहां की सरकार न्यायपालिका को नष्ट करने की कोशिश कर रही है. वे न्यायपालिका को गलत कर रहे हैं और जो हुआ है वह यह है कि इजरायली दरवाजे के अंदर लोग हैं। यहां भी कई लोगों ने ऐसा ही करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि एक तरह से हम सेना को पूरी तरह खत्म नहीं करेंगे, तो इस वजह से हमें पहले से ही फायदा दिख रहा था, तो कहीं न कहीं हमने सोचा होगा कि इस समय इजरायली समाज बहुत खराब है. अगर आप जानकार हैं तो भी ये इजराइल पर हमला करने का सही मौका है और ये दूसरा कारण बताया जा रहा है जिसके चलते इजराइल ने यहां कहा कि हमास ने इजराइल पर हमला किया है.

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारण तीसरा 

तीसरा और सबसे प्रशिक्षित, कारण देखिए, सऊदी अरब और इज़राइल का एक साथ आना है। तथ्यात्मक रूप से आप कह सकते हैं कि यह कोई घटना नहीं हो सकती. अभी कुछ महीने पहले आपने इजराइल और सऊदी अरब की झलक देखी थी, उन्होंने यहां अपना नाम बनाया है। देखा जाए तो सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक इंटरव्यू दिया था. मैं इसके बारे में बात कर रहा हूं. सऊदी अरब के विश्लेषकों ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया. और कहा कि इजराइल के साथ हमारे रिश्ते दिन-ब-दिन मजबूत होते जा रहे हैं. यहां हम प्रगति कर रहे हैं और भविष्य में जो भी उचित स्थापना होगी वह यहां स्थापित की जा सकती है। अब आप खुद सोचिए कि सऊदी अरब, जिसने हमेशा इजराइल और फिलिस्तीन के मुद्दे को ईसाई बनाया था, जो एक तरह से उसका लक्ष्य था, उसे फिलिस्तीन का समर्थन प्राप्त था। लेकिन अगर इज़राइल और सऊदी अरब एक साथ आते हैं, तो क्या हमास को यह पसंद आएगा? क्या फ़िलिस्तीनियों को यह पसंद आएगा? उपलब्ध नहीं है। तो ये है तीसरा और सबसे बड़ा कारण.

इज़राइल और हमास युद्ध होने का कारण यह था धन्यवाद

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